An Autonomous Trust Registerd Under Indian Trust Act, Govt. of India,
Reg. No. 5863/08, GSTIN : 07AABTR5005M1ZF, An ISO 9001-2008 Certified Organisation
यदि आप पागल ही बनना चाहते हैं तो सांसारिक वस्तुओं के लिए मत बनो, बल्कि भगवान के प्यार में पागल बनों !
भगवान सभी पुरुषों में है, लेकिन सभी पुरुषों में भगवान नहीं हैं, इसीलिए हम पीड़ित हैं !
गर तुम पूर्व की ओर जाना चाहते हो तो पश्चिम की ओर मत जाओ !
जब फूल खिलता है, मधुमक्खियों बिन बुलाए आ जाती हैं !
प्यार के माध्यम से एक त्याग और विवेक स्वाभाविक रूप से प्राप्त हो जाते हैं !
धर्म पर बात करना बहुत ही आसान है, लेकिन इसको आचरण में लाना उतना ही मुश्किल हैं !
भगवान की भक्ति या प्रेम के बिना किया गए कार्य को पूर्ण नहीं किया जा सकता !
बिना सत्य बोले तो भगवान को प्राप्त ही नहीं किया जा सकता, क्योकि सत्य ही भगवान हैं !
भगवान की तरफ विशुद्ध प्रेम बेहद जरूरी बात है और बाकी सब असत्य और काल्पनिक है !
जब तक यह जीवन हैं और तुम जीवित हो, सीखते रहना चाहिए !
जिस व्यक्ति में ये तीनो चीजे हैं, वो कभी भी भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता या भगवान की द्रष्टि उस पर नहीं पड़ सकती। ये तीन हैं लज्जा, घृणा और भय !
जिस प्रकार किरायेदार घर उपयोग करने के लिए उसका किराया देता हैं उसी प्रकार रोग के रूप में आत्मा, शरीर को प्राप्त करने के लिए टैक्स अथवा किराया देती हैं !
स्वामी विवेकानन्द
तुम्हें भीतर से जागना होगा कोई तुम्हें सच्चा ज्ञान नहीं दे सकता तुम्हारी आत्मा से बड़ा कोई शिक्षक नहीं है !
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है !
शिक्षा वही सार्थक सिद्ध होता है जो आंतरिक शक्तियों को समझने में सहायक सिद्ध हो !
जितने भी वैदिक ऋषि थे उन्हें धर्ममेघ समाधि प्राप्त थी, तभी सत्य उनके सामने स्पष्ट हुआ था !
जितना कठिन संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी !
एक अच्छे चरित्र का निर्माण हजारों ठोकरें खाने के बाद ही होता है !
चिंतन करो, चिंता नहीं , नए विचारों को जन्म दो !
सभी को मरना है, सज्जन भी मरेंगे और दुर्जन भी मरेंगे, गरीब भी मरेंगे और अमीर भी मरेंगे इसलिए निष्कपट होकर जीवन जियो !
जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे !
जब तक आप स्वयं पर विश्वास नहीं करते, आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते !
एक शब्द में कहें तो तुम ही परमात्मा हो !
दान सबसे बड़ा धर्म है — नर सेवा – नारायण सेवा — ज्ञान का दान ही सबसे उत्तम दान है !
उठो जागो और जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये तब तक मत रुको !
धन अगर अच्छाई के लिए उपयोग ना किया जाये तो ये बुराई की जड़ बन जाता है !
एक समय में एक ही काम करो और पूरी निष्ठां और लगन से करो बाकि सब कुछ भुला दो !
डर कमजोरी की सबसे बड़ी निशानी है — महान कार्य के लिए महान त्याग करने पड़ते हैं — खुद को कमजोर मान लेता बहुत बड़ा पाप है — आत्मा के लिए कुछ भी असंभव नहीं !
महात्मा वो है, जो गरीबों और असहाय के लिए रोता है अन्यथा वो दुरात्मा है !
बह्माण्ड की सारी शक्तियाँ हमारे अंदर निहित हैं और ये हम ही हैं जो अपनी आखों पर पट्टी बांधकर अंधकार होने का रोना रोते हैं !
वही लोग अच्छा जीवन जीते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं !
परोपकार धर्म का दूसरा नाम है परपीड़ा सबसे बड़ा पाप !
राम राम करने से कोई धार्मिक नहीं हो जाता। जो प्रभु की इच्छानुसार काम करता है वही धार्मिक है !
जीवन में एक समय ऐसा आता है जब व्यक्ति ये अनुभव करता है कि दूसरे मनुष्यों की सेवा करना, लाखों जप तप के बराबर है !
दिन में कम से कम एकबार खुद से जरूर बात करें अन्यथा आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति के साथ एक बैठक गँवा देंगे !
श्रीअरविन्द
गुण कोई किसी को नहीं सिखा सकता. दूसरे के गुण लेने या सीखने की जब भूख मन में जागती है, तो गुण अपने आप सीख लिए जाते हैं !
जीवन जीवन है – चाहे एक बिल्ली का हो, या कुत्ता या आदमी का. एक बिल्ली या एक आदमी के बीच कोई अंतर नहीं है. अंतर का यह विचार मनुष्य के स्वयं के लाभ के लिए एक मानवीय अवधारणा है !
कोई भी देश या जाति अब विश्व से अलग नहीं रह सकती !
जैसे सारा संसार बदल रहा है, उसी प्रकार, भारत को भी बदलना चाहिए !
भारत भौतिक समृद्धि से हीन है, यद्दपि, उसके जर्जर शरीर में आध्यात्मिकता का तेज वास करता है !
यह देश यदि पश्चिम की शक्तियों को ग्रहण करे और अपनी शक्तिओं का भी विनाश नहीं होने दे तो उसके भीतर से जिस संस्कृति का उदय होगा वह अखिल विश्व के लिए कल्याणकारिणी होगी. वास्तव में वही संस्कृति विश्व की अगली संस्कृति बनेगी !
व्यक्तियों में सर्वथा नवीन चेतना का संचार करो, उनके अस्तित्व के समग्र रूप को बदलो, जिससे पृथ्वी पर नए जीवन का समारंभ हो सके !
और लोग अपने देश को एक भौतिक चीज की तरह जानते हैं. जैसे- मैदान, जमीन, पहाड़, जंगल, नदी वगैरह. लेकिन मैं अपने देश को माँ की तरह जानता हूँ. मैं उसे अपनी भक्ति अर्पित करता हूँ. उसे अपनी पूजा अर्पण करता हूँ !
युगों का भारत मृत नहीं हुआ है और न उसने अपना अंतिम सृजनात्मक शब्द उच्चारित ही किया है, वह जीवित है और उसे अभी भी स्वयं अपने लिए और मानव लोगों के लिए बहुत कुछ करना है और जिसे अब जागृत होना आवश्यक है !
पढो, लिखो, कर्म करो, आगे बढो, कष्ट सहन करो, एकमात्र मातृभूमि के लिए, माँ की सेवा के लिए !
एकता स्थापित करने वाले सच्चे बन्धु हैं!
कला अतिसूक्ष्म और कोमल है. अतः अपनी गति के साथ यह मस्तिष्क को भी कोमल और सूक्ष्म बना देती है !
जिसमें फूट हो गई है और पक्ष भेद हो गए हैं, ऐसा समाज किस काम का ? आत्मप्रतिष्ठा और आत्मा की एकता की मूर्ति का समाज चाहिए. अलग रह कर जितना काम होता है, उससे सौ गुना संघशक्ति से होता है !
अब हमारे सारे कार्यों के लक्ष्य मातृभूमि की सेवा ही होनी चाहिए. आपका अध्ययन, मनन, शरीर ,मन और आत्मा का संस्कार सभी कुछ मातृभूमि के लिए ही होना चाहिए. आप काम करो, जिससे मातृभूमि समृद्ध हो !
धन को विलास के लिए खर्च करना एक प्रकार से चोरी होगी. वह धन असहायों और जरूरतमन्दों के लिए है !
तुम लोग जड़ पदार्थ, मैदान, खेत, वन-पर्वत आदि को ही स्वदेश कहते हो, परन्तु मैं इसे ‘माँ’ कहता हूँ !
जिसमें त्याग की मात्रा, जितने अंश में हो, वह व्यक्ति उतने ही अंश में हो, वह व्यक्ति उतने ही अंश में पशुत्व से ऊपर है !
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
सपने वो नहीं जो आप सोते समय देखते हैं, बल्कि सपने वो हैं जो आपको सोने नहीं देते !
दुनियाँ की लगभग आधी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और ज्यादातर गरीबी की हालत में रहती है। मानव विकास की इन्हीं असमानताओं की वजह से कुछ भागों में अशांति और हिंसा जन्म लेती है !
आसमान की ओर देखो हम अकेले नहीं हैं, जो लोग सपने देखते हैं और कठिन मेहनत करते हैं, पूरा ब्रह्माण्ड उनके साथ है !
अगर कोई देश भ्रष्टाचार से मुक्त हो और सारे लोग अच्छी शुद्ध मानसिकता वाले हों, मैं दावे से कह सकता हूँ केवल 3 लोग ही ऐसे देश का निर्माण कर सकते हैं- माता, पिता और गुरु !
महान सपने देखने वाले महान लोगों के सपने हमेशा पूरे होते हैं !
भगवान, जिन्होंने हमें बनाया है, वो हमारे मन और व्यक्तित्व में वास करते हैं और हमें शक्ति प्रदान करते हैं और प्रार्थना इस शक्ति को बढाती है !
युवाओं को मेरा सन्देश है कि अलग तरीके से सोचें, कुछ नया करने का प्रयत्न करें, अपना रास्ता खुद बनायें, असंभव को हासिल करें !
अपने कार्य में सफल होने के लिए आपको एकाग्रचित होकर अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाना होगा !
हमें त्याग करना होगा ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी समृद्ध हो !
रचनात्मकता भविष्य में सफलता की कुंजी है, प्राथमिक शिक्षा ही वह साधन है जो बच्चों में सकारात्मकता लाती है !
जीवन एक कठिन खेल के समान है आप ये खेल तभी जीत सकते हैं जब आप अपने इंसान होने के जन्मसिद्ध अधिकार होने का पालन करें !
हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए, और कभी परेशानियों को हमें खुद को हराने नहीं देना चाहिए !
एक छात्र की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता होती है- प्रश्न पूछना, उन्हें प्रश्न पूछने दें !
सुभाषचंद्र बोस
असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ साबित होती हैं !
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा !
एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही गुणों के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है !
इतिहास में कभी भी विचार-विमर्श से कोई वास्तविक परिवर्तन हासिल नहीं हुआ है !
याद रखिये सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना ही है !
अगर संघर्ष न करें, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है !
मैं चाहता हूँ – चरित्र, ज्ञान और कार्य !
चरित्र का निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है !
महात्मा गाँधी
खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है, खुद को दूसरों की सेवा में खो दो !
सोने और चाँदी के दुकड़े असली धन नहीं हैं, बल्कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है !
जियो ऐसे जैसे कल आपका आखिरी दिन हो, जी भर जियो और सीखो ऐसे जैसे कि आपको यहां हमेशा रहना है !
जहाँ प्यार है, वहाँ जीवन है !
आप जो सुधार दुनियाँ में देखना चाहते हो, आप खुद उस सुधार का हिस्सा होने चाहिए !
एक विनम्र तरीके से, आप दुनिया को हिला सकते हैं !
एक निर्धारित लक्ष्य और कभी ना बुझने वाले जोश के साथ अपने मिशन पे काम करने वाला शरीर ही इतिहास के पाठ्यक्रम को बदलता है !
प्रार्थना का अर्थ कुछ माँगना नहीं है, ये तो आत्मा की एक लालसा है, ये हमारी कमजोरी की स्वीकारोक्ति है। प्रार्थना में बिना शब्दों के भी ह्रदय और मन का उपस्थित होना, शब्दों के साथ भी मन के ना होने से बेहतर है !
शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती है। यह एक अदम्य इच्छा शक्ति से आती है !
मौन सबसे मजबूत भाषण है। धीरे-धीरे सारा संसार आपको सुनेगा !
ईश्वर का कोई धर्म नहीं है !
पाप से डरो, पापी से नहीं !
भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आज आप क्या कर रहे हैं !
जब मैं ढलते हुए सूरज की सुंदरता और उगते चाँद की चमक को देखता हूँ तो मेरी आत्मा में उस ईश्वर के लिए भक्ति और बढ़ जाती है !
क्रोध अहिंसा का परम दुश्मन है और घमंड एक राक्षस है जो इसे निगलता है !
एक अच्छा इंसान हर सजीव चीज़ का मित्र होता है !
गौतम बुद्ध
तीन चीज़ें ज्यादा देर तक नहीं छुपी रह सकतीं – सूर्य, चन्द्रमा और सत्य !
जो गुजर गया उसके बारे में मत सोचो और भविष्य के सपने मत देखो केवल वर्तमान पे ध्यान केंद्रित करो !
आप पूरे ब्रह्माण्ड में कहीं भी ऐसे व्यक्ति को खोज लें जो आपको आपसे ज्यादा प्यार करता हो, आप पाएंगे कि जितना प्यार आप खुद से कर सकते हैं उतना कोई आपसे नहीं कर सकता !
स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन और विश्वास सबसे अच्छा संबंध !
हमें हमारे अलावा कोई और नहीं बचा सकता, हमें अपने रास्ते पे खुद चलना है !
आपका मन ही सब कुछ है, आप जैसा सोचेंगे वैसा बन जायेंगे !
इंसान के अंदर ही शांति का वास होता है, उसे बाहर ना तलाशें !
आपको क्रोधित होने के लिए दंड नहीं दिया जायेगा, बल्कि आपका क्रोध खुद आपको दंड देगा !
निष्क्रिय होना मृत्यु का एक छोटा रास्ता है, मेहनती होना अच्छे जीवन का रास्ता है, मूर्ख लोग निष्क्रिय होते हैं और बुद्धिमान लोग मेहनती !
प्रसन्नता का कोई रास्ता नहीं है बल्कि प्रसन्न रहना ही रास्ता है !
आप्प दीपो भव - अपना दीपक खुद बनो !
साईं बाबा
श्रद्धा रख सब्र से काम ले ईश्वर भला करेगा !
अगर मेरा भक्त गिरने वाला होता है तो मैं अपने हाथ बढ़ा कर उसे सहारा देता हूँ
अगर मेरा भक्त गिरने वाला होता है तो मैं अपने हाथ बढ़ा कर उसे सहारा देता हूँ !
अपने गुरु में पूर्ण रूप से विश्वास करें, यही साधना है !
जिस तरह कीड़ा कपड़े को कुतरता है, उसी तरह इर्ष्या मनुष्य को !
क्रोध मूर्खता से शुरू होता है और पश्च्याताप पर ख़त्म होता है !
मनुष्य की महत्ता उसके कपड़ो से नही बल्कि उसके आचरण से होती है !
अँधा वो नहीं जिसकी आँखे नहीं है, अँधा वह है जो अपने दोषों को छिपाता है !
भूखे को अन्न दो, प्यासे को जल दो, नंगे को वस्त्र दो तब भगवान प्रसन्न होंगे !
अगर तुम धनवान हो तो कृपालु बनो क्यूंकि जब वृक्ष पर फल लगते हैं तो वह झुक जाता है !
एक बार निकले बोल वापस नहीं आते, अतः सोच समझ के बोलें !
“जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का”
संत शिरोमणि कबीर साहब
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय ॥
अर्थ – कबीर दास जी इस दोहे में कहते हैं कि अगर हमारे सामने गुरु और भगवान दोनों एक साथ खड़े हों तो आप किसके चरण स्पर्श करेंगे? गुरु ने अपने ज्ञान से ही हमें भगवान से मिलने का रास्ता बताया है इसलिए गुरु की महिमा भगवान से भी ऊपर है और हमें गुरु के चरण स्पर्श करने चाहिए !
यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान |
शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि यह जो शरीर है वो विष (जहर) से भरा हुआ है और गुरु अमृत की खान हैं। अगर अपना शीश(सर) देने के बदले में आपको कोई सच्चा गुरु मिले तो ये सौदा भी बहुत सस्ता है !
सब धरती काजग करू, लेखनी सब वनराज |
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए ||
अर्थ – अगर मैं इस पूरी धरती के बराबर बड़ा कागज बनाऊं और दुनियां के सभी वृक्षों की कलम बना लूँ और सातों समुद्रों के बराबर स्याही बना लूँ तो भी गुरु के गुणों को लिखना संभव नहीं है !
ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये |
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि इंसान को ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जो सुनने वाले के मन को बहुत अच्छी लगे। ऐसी भाषा दूसरे लोगों को तो सुख पहुँचाती ही है, इसके साथ खुद को भी बड़े आनंद का अनुभव होता है।
बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर |
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि खजूर का पेड़ बेशक बहुत बड़ा होता है लेकिन ना तो वो किसी को छाया देता है और फल भी बहुत दूर(ऊँचाई ) पे लगता है। इसी तरह अगर आप किसी का भला नहीं कर पा रहे तो ऐसे बड़े होने से भी कोई फायदा नहीं है।
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि निंदक(हमेशा दूसरों की बुराइयां करने वाले) लोगों को हमेशा अपने पास रखना चाहिए, क्यूंकि ऐसे लोग अगर आपके पास रहेंगे तो आपकी बुराइयाँ आपको बताते रहेंगे और आप आसानी से अपनी गलतियां सुधार सकते हैं। इसीलिए कबीर जी ने कहा है कि निंदक लोग इंसान का स्वभाव शीतल बना देते हैं।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय |
जो मन देखा आपना, मुझ से बुरा न कोय ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि मैं सारा जीवन दूसरों की बुराइयां देखने में लगा रहा लेकिन जब मैंने खुद अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई इंसान नहीं है। मैं ही सबसे स्वार्थी और बुरा हूँ अर्थात हम लोग दूसरों की बुराइयां बहुत देखते हैं लेकिन अगर आप खुद के अंदर झाँक कर देखें तो पाएंगे कि हमसे बुरा कोई इंसान नहीं है।
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय |
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय ||
अर्थ – दुःख में हर इंसान ईश्वर को याद करता है लेकिन सुख में सब ईश्वर को भूल जाते हैं। अगर सुख में भी ईश्वर को याद करो तो दुःख कभी आएगा ही नहीं
माटी कहे कुमार से, तू क्या रोंदे मोहे |
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदुंगी तोहे ||
अर्थ – जब कुम्हार बर्तन बनाने के लिए मिटटी को रौंद रहा था, तो मिटटी कुम्हार से कहती है – तू मुझे रौंद रहा है, एक दिन ऐसा आएगा जब तू इसी मिटटी में विलीन हो जायेगा और मैं तुझे रौंदूंगी
पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात |
देखत ही छुप जाएगा है, ज्यों सारा परभात ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि इंसान की इच्छाएं एक पानी के बुलबुले के समान हैं जो पल भर में बनती हैं और पल भर में खत्म। जिस दिन आपको सच्चे गुरु के दर्शन होंगे उस दिन ये सब मोह माया और सारा अंधकार छिप जायेगा
चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये |
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए ||
अर्थ – चलती चक्की को देखकर कबीर दास जी के आँसू निकल आते हैं और वो कहते हैं कि चक्की के 2 पाटों के बीच में कुछ साबुत नहीं बचता
मलिन आवत देख के, कलियन कहे पुकार |
फूले फूले चुन लिए, कलि हमारी बार ||
अर्थ – मालिन को आते देखकर बगीचे की कलियाँ आपस में बातें करती हैं कि आज मालिन ने फूलों को तोड़ लिया और कल हमारी बारी आ जाएगी। अर्थात आज आप जवान हैं कल आप भी बूढ़े हो जायेंगे और एक दिन मिटटी में मिल जाओगे। आज की कली, कल फूल बनेगी।
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब |
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि हमारे पास समय बहुत कम है, जो काम कल करना है वो आज करो, और जो आज करना है वो अभी करो, क्यूंकि पलभर में प्रलय जो जाएगी फिर आप अपने काम कब करेंगे
ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग |
तेरा साईं तुझ ही में है, जाग सके तो जाग ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं जैसे तिल के अंदर तेल होता है, और आग के अंदर रौशनी होती है ठीक वैसे ही हमारा ईश्वर हमारे अंदर ही विद्धमान है, अगर ढूंढ सको तो ढूढ लो।
जहाँ दया तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहां पाप |
जहाँ क्रोध तहा काल है, जहाँ क्षमा वहां आप ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जहाँ दया है वहीँ धर्म है और जहाँ लोभ है वहां पाप है, और जहाँ क्रोध है वहां सर्वनाश है और जहाँ क्षमा है वहाँ ईश्वर का वास होता है
जो घट प्रेम न संचारे, जो घट जान सामान |
जैसे खाल लुहार की, सांस लेत बिनु प्राण ||
अर्थ – जिस इंसान अंदर दूसरों के प्रति प्रेम की भावना नहीं है वो इंसान पशु के समान है
जल में बसे कमोदनी, चंदा बसे आकाश |
जो है जा को भावना सो ताहि के पास ||
अर्थ – कमल जल में खिलता है और चन्द्रमा आकाश में रहता है। लेकिन चन्द्रमा का प्रतिबिम्ब जब जल में चमकता है तो कबीर दास जी कहते हैं कि कमल और चन्द्रमा में इतनी दूरी होने के बावजूद भी दोनों कितने पास है। जल में चन्द्रमा का प्रतिबिम्ब ऐसा लगता है जैसे चन्द्रमा खुद कमल के पास आ गया हो। वैसे ही जब कोई इंसान ईश्वर से प्रेम करता है वो ईश्वर स्वयं चलकर उसके पास आते हैं।
जाती न पूछो साधू की, पूछ लीजिये ज्ञान |
मोल करो तलवार का, पड़ा रहने दो म्यान ||
अर्थ – साधु से उसकी जाति मत पूछो बल्कि उनसे ज्ञान की बातें करिये, उनसे ज्ञान लीजिए। मोल करना है तो तलवार का करो म्यान को पड़ी रहने दो।
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होए |
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोए ||
अर्थ – अगर आपका मन शीतल है तो दुनियां में कोई आपका दुश्मन नहीं बन सकता
ते दिन गए अकारथ ही, संगत भई न संग |
प्रेम बिना पशु जीवन, भक्ति बिना भगवंत ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि अब तक जो समय गुजारा है वो व्यर्थ गया, ना कभी सज्जनों की संगति की और ना ही कोई अच्छा काम किया। प्रेम और भक्ति के बिना इंसान पशु के समान है और भक्ति करने वाला इंसान के ह्रदय में भगवान का वास होता है।
तीरथ गए से एक फल, संत मिले फल चार |
सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार ||
अर्थ – तीर्थ करने से एक पुण्य मिलता है, लेकिन संतो की संगति से 4 पुण्य मिलते हैं। और सच्चे गुरु के पा लेने से जीवन में अनेक पुण्य मिल जाते हैं
तन को जोगी सब करे, मन को विरला कोय |
सहजे सब विधि पाइए, जो मन जोगी होए ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि लोग रोजाना अपने शरीर को साफ़ करते हैं लेकिन मन को कोई साफ़ नहीं करता। जो इंसान अपने मन को भी साफ़ करता है वही सच्चा इंसान कहलाने लायक है।
प्रेम न बारी उपजे, प्रेम न हाट बिकाए |
राजा प्रजा जो ही रुचे, सिस दे ही ले जाए ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि प्रेम कहीं खेतों में नहीं उगता और नाही प्रेम कहीं बाजार में बिकता है। जिसको प्रेम चाहिए उसे अपना शीश(क्रोध, काम, इच्छा, भय) त्यागना होगा।
जिन घर साधू न पुजिये, घर की सेवा नाही |
ते घर मरघट जानिए, भुत बसे तिन माही ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जिस घर में साधु और सत्य की पूजा नहीं होती, उस घर में पाप बसता है। ऐसा घर तो मरघट के समान है जहाँ दिन में ही भूत प्रेत बसते हैं
साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहै थोथा देई उडाय॥
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि एक सज्जन पुरुष में सूप जैसा गुण होना चाहिए। जैसे सूप में अनाज के दानों को अलग कर दिया जाता है वैसे ही सज्जन पुरुष को अनावश्यक चीज़ों को छोड़कर केवल अच्छी बातें ही ग्रहण करनी चाहिए।
पाछे दिन पाछे गए हरी से किया न हेत |
अब पछताए होत क्या, चिडिया चुग गई खेत ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि बीता समय निकल गया, आपने ना ही कोई परोपकार किया और नाही ईश्वर का ध्यान किया। अब पछताने से क्या होता है, जब चिड़िया चुग गयी खेत।
जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नाही |
सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जब मेरे अंदर अहंकार(मैं) था, तब मेरे ह्रदय में हरी(ईश्वर) का वास नहीं था। और अब मेरे ह्रदय में हरी(ईश्वर) का वास है तो मैं(अहंकार) नहीं है। जब से मैंने गुरु रूपी दीपक को पाया है तब से मेरे अंदर का अंधकार खत्म हो गया है
नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाए |
मीन सदा जल में रहे, धोये बास न जाए ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि आप कितना भी नहा धो लीजिए, लेकिन अगर मन साफ़ नहीं हुआ तो उसे नहाने का क्या फायदा, जैसे मछली हमेशा पानी में रहती है लेकिन फिर भी वो साफ़ नहीं होती, मछली में तेज बदबू आती है।
प्रेम पियाला जो पिए, सिस दक्षिणा देय |
लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय ||
अर्थ – जिसको ईश्वर प्रेम और भक्ति का प्रेम पाना है उसे अपना शीश(काम, क्रोध, भय, इच्छा) को त्यागना होगा। लालची इंसान अपना शीश(काम, क्रोध, भय, इच्छा) तो त्याग नहीं सकता लेकिन प्रेम पाने की उम्मीद रखता है
कबीरा सोई पीर है, जो जाने पर पीर |
जो पर पीर न जानही, सो का पीर में पीर ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जो इंसान दूसरे की पीड़ा और दुःख को समझता है वही सज्जन पुरुष है और जो दूसरे की पीड़ा ही ना समझ सके ऐसे इंसान होने से क्या फायदा।
कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ॥
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि वे लोग अंधे और मूर्ख हैं जो गुरु की महिमा को नहीं समझ पाते। अगर ईश्वर आपसे रूठ गया तो गुरु का सहारा है लेकिन अगर गुरु आपसे रूठ गया तो दुनियां में कहीं आपका सहारा नहीं है।
कबीर सुता क्या करे, जागी न जपे मुरारी |
एक दिन तू भी सोवेगा, लम्बे पाँव पसारी ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि तू क्यों हमेशा सोया रहता है, जाग कर ईश्वर की भक्ति कर, नहीं तो एक दिन तू लम्बे पैर पसार कर हमेशा के लिए सो जायेगा
नहीं शीतल है चंद्रमा, हिम नहीं शीतल होय |
कबीर शीतल संत जन, नाम सनेही होय ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि चन्द्रमा भी उतना शीतल नहीं है और हिम(बर्फ) भी उतना शीतल नहीं होती जितना शीतल सज्जन पुरुष हैं। सज्जन पुरुष मन से शीतल और सभी से स्नेह करने वाले होते हैं
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय |
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि लोग बड़ी से बड़ी पढाई करते हैं लेकिन कोई पढ़कर पंडित या विद्वान नहीं बन पाता। जो इंसान प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ लेता है वही सबसे विद्वान् है
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय |
जो सुख साधू संग में, सो बैकुंठ न होय ||
अर्थ – जब मृत्यु का समय नजदीक आया और राम के दूतों का बुलावा आया तो कबीर दास जी रो पड़े क्यूंकि जो आनंद संत और सज्जनों की संगति में है उतना आनंद तो स्वर्ग में भी नहीं होगा।
शीलवंत सबसे बड़ा सब रतनन की खान |
तीन लोक की सम्पदा, रही शील में आन ||
अर्थ – शांत और शीलता सबसे बड़ा गुण है और ये दुनिया के सभी रत्नों से महंगा रत्न है। जिसके पास शीलता है उसके पास मानों तीनों लोकों की संपत्ति है।
साईं इतना दीजिये, जामे कुटुंब समाये |
मैं भी भूखा न रहूँ, साधू न भूखा जाए ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि हे प्रभु मुझे ज्यादा धन और संपत्ति नहीं चाहिए, मुझे केवल इतना चाहिए जिसमें मेरा परिवार अच्छे से खा सके। मैं भी भूखा ना रहूं और मेरे घर से कोई भूखा ना जाये।
माखी गुड में गडी रहे, पंख रहे लिपटाए |
हाथ मेल और सर धुनें, लालच बुरी बलाय ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि मक्खी पहले तो गुड़ से लिपटी रहती है। अपने सारे पंख और मुंह गुड़ से चिपका लेती है लेकिन जब उड़ने प्रयास करती है तो उड़ नहीं पाती तब उसे अफ़सोस होता है। ठीक वैसे ही इंसान भी सांसारिक सुखों में लिपटा रहता है और अंत समय में अफ़सोस होता है।
ज्ञान रतन का जतन कर, माटी का संसार |
हाय कबीरा फिर गया, फीका है संसार ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि ये संसार तो माटी का है, आपको ज्ञान पाने की कोशिश करनी चाहिए नहीं तो मृत्यु के बाद जीवन और फिर जीवन के बाद मृत्यु यही क्रम चलता रहेगा
कुटिल वचन सबसे बुरा, जा से होत न चार |
साधू वचन जल रूप है, बरसे अमृत धार ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि कड़वे बोल बोलना सबसे बुरा काम है, कड़वे बोल से किसी बात का समाधान नहीं होता। वहीँ सज्जन विचार और बोल अमृत के समान हैं
आये है तो जायेंगे, राजा रंक फ़कीर |
इक सिंहासन चढी चले, इक बंधे जंजीर ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जो इस दुनियां में आया है उसे एक दिन जरूर जाना है। चाहे राजा हो या फ़क़ीर, अंत समय यमदूत सबको एक ही जंजीर में बांध कर ले जायेंगे
ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊँची न होय |
सुवर्ण कलश सुरा भरा, साधू निंदा होय ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि ऊँचे कुल में जन्म तो ले लिया लेकिन अगर कर्म ऊँचे नहीं है तो ये तो वही बात हुई जैसे सोने के लोटे में जहर भरा हो, इसकी चारों ओर निंदा ही होती है।
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।
हीरा जन्म अमोल सा, कोड़ी बदले जाय ॥
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि रात को सोते हुए गँवा दिया और दिन खाते खाते गँवा दिया। आपको जो ये अनमोल जीवन मिला है वो कोड़ियों में बदला जा रहा है।
कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति न होय |
भक्ति करे कोई सुरमा, जाती बरन कुल खोए ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि कामी, क्रोधी और लालची, ऐसे व्यक्तियों से भक्ति नहीं हो पाती। भक्ति तो कोई सूरमा ही कर सकता है जो अपनी जाति, कुल, अहंकार सबका त्याग कर देता है।
कागा का को धन हरे, कोयल का को देय |
मीठे वचन सुना के, जग अपना कर लेय ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि कौआ किसी का धन नहीं चुराता लेकिन फिर भी कौआ लोगों को पसंद नहीं होता। वहीँ कोयल किसी को धन नहीं देती लेकिन सबको अच्छी लगती है। ये फर्क है बोली का – कोयल मीठी बोली से सबके मन को हर लेती है।
लुट सके तो लुट ले, हरी नाम की लुट |
अंत समय पछतायेगा, जब प्राण जायेगे छुट ||
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि ये संसार ज्ञान से भरा पड़ा है, हर जगह राम बसे हैं। अभी समय है राम की भक्ति करो, नहीं तो जब अंत समय आएगा तो पछताना पड़ेगा।
तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय ।
कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि तिनके को पाँव के नीचे देखकर उसकी निंदा मत करिये क्यूंकि अगर हवा से उड़के तिनका आँखों में चला गया तो बहुत दर्द करता है। वैसे ही किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति की निंदा नहीं करनी चाहिए।
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥
अर्थ – कबीर दास जी मन को समझाते हुए कहते हैं कि हे मन! दुनिया का हर काम धीरे धीरे ही होता है। इसलिए सब्र करो। जैसे माली चाहे कितने भी पानी से बगीचे को सींच ले लेकिन वसंत ऋतू आने पर ही फूल खिलते हैं।
माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर ।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि माया(धन) और इंसान का मन कभी नहीं मरा, इंसान मरता है शरीर बदलता है लेकिन इंसान की इच्छा और ईर्ष्या कभी नहीं मरती।
मांगन मरण समान है, मत मांगो कोई भीख !
मांगन से मरना भला, ये सतगुरु की सीख !!
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि मांगना तो मृत्यु के समान है, कभी किसी से भीख मत मांगो। मांगने से भला तो मरना है
ज्यों नैनन में पुतली, त्यों मालिक घर माँहि !
मूरख लोग न जानिए , बाहर ढूँढत जाहिं !!
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जैसे आँख के अंदर पुतली है, ठीक वैसे ही ईश्वर हमारे अंदर बसा है। मूर्ख लोग नहीं जानते और बाहर ही ईश्वर को तलाशते रहते हैं।
कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये !
ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये !!
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जब हम पैदा हुए थे उस समय सारी दुनिया खुश थी और हम रो रहे थे। जीवन में कुछ ऐसा काम करके जाओ कि जब हम मरें तो दुनियां रोये और हम हँसे।
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय !
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय !!
अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि किताबें पढ़ पढ़ कर लोग शिक्षा तो हासिल कर लेते हैं लेकिन कोई ज्ञानी नहीं हो पाता। जो व्यक्ति प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ ले और वही सबसे बड़ा ज्ञानी है, वही सबसे बड़ा पंडित है।
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान !
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान !!
अर्थ – किसी विद्वान् व्यक्ति से उसकी जाति नहीं पूछनी चाहिए बल्कि ज्ञान की बात करनी चाहिए। असली मोल तो तलवार का होता है म्यान का नहीं।
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ !
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ !!
अर्थ – जो लोग लगातार प्रयत्न करते हैं, मेहनत करते हैं वह कुछ ना कुछ पाने में जरूर सफल हो जाते हैं| जैसे कोई गोताखोर जब गहरे पानी में डुबकी लगाता है तो कुछ ना कुछ लेकर जरूर आता है लेकिन जो लोग डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रहे हैं उनको जीवन पर्यन्त कुछ नहीं मिलता
दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त !
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत !!
अर्थ – इंसान की फितरत कुछ ऐसी है कि दूसरों के अंदर की बुराइयों को देखकर उनके दोषों पर हँसता है, व्यंग करता है लेकिन अपने दोषों पर कभी नजर नहीं जाती जिसका ना कोई आदि है न अंत
तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय !
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय !!
अर्थ – कबीरदास जी इस दोहे में बताते हैं कि छोटी से छोटी चीज़ की भी कभी निंदा नहीं करनी चाहिए क्यूंकि वक्त आने पर छोटी चीज़ें भी बड़े काम कर सकती हैं| ठीक वैसे ही जैसे एक छोटा सा तिनका पैरों तले कुचल जाता है लेकिन आंधी चलने पर अगर वही तिनका आँखों में पड़ जाये तो बड़ी तकलीफ देता है
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप !
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप !!
अर्थ – कबीरदास जी कहते हैं कि ज्यादा बोलना अच्छा नहीं है और ना ही ज्यादा चुप रहना भी अच्छा है जैसे ज्यादा बारिश अच्छी नहीं होती लेकिन बहुत ज्यादा धूप भी अच्छी नहीं है
कहत सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन !
कही कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन !!
अर्थ – केवल कहने और सुनने में ही सब दिन चले गये लेकिन यह मन उलझा ही है अब तक सुलझा नहीं है| कबीर दास जी कहते हैं कि यह मन आजतक चेता नहीं है यह आज भी पहले जैसा ही है|
दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार !
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार !!
अर्थ – कबीरदास जी कहते हैं कि मनुष्य का जन्म मिलना बहुत दुर्लभ है यह शरीर बार बार नहीं मिलता जैसे पेड़ से झड़ा हुआ पत्ता वापस पेड़ पर नहीं लग सकता
बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि !
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि !!
अर्थ – जो व्यक्ति अच्छी वाणी बोलता है वही जानता है कि वाणी अनमोल रत्न है| इसके लिए हृदय रूपी तराजू में शब्दों को तोलकर ही मुख से बाहर आने दें|
हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना !
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना !!
अर्थ – हिन्दूयों के लिए राम प्यारा है और मुस्लिमों के लिए अल्लाह (रहमान) प्यारा है| दोनों राम रहीम के चक्कर में आपस में लड़ मिटते हैं लेकिन कोई सत्य को नहीं जान पाया|
संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत |
चन्दन भुवंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत ||
अर्थ – सज्जन पुरुष किसी भी परिस्थिति में अपनी सज्जनता नहीं छोड़ते चाहे कितने भी दुष्ट पुरुषों से क्यों ना घिरे हों| ठीक वैसे ही जैसे चन्दन के वृक्ष से हजारों सर्प लिपटे रहते हैं लेकिन वह कभी अपनी शीतलता नहीं छोड़ता|
महर्षि मेंहीं
आत्मा से जो प्राप्त होगा वही परमात्मा है !
सारा प्रकृति मंडल ही ईश्वर है !
जीवात्मा प्रभु का अंश है, जस अंश नभ को देखिये! घट-मठ प्रपंच हि जब मिटे, नहीं अंश कहना चाहिए !!
निशाब्दम परमं पदम् !
सभी संतों के मत को ही संतमत कहते है !
अंततः उपनिषद की मूल भित्ति को ही माननी पड़ती है !
सारा प्रकृति मंडल एक महान यन्त्र की नाइ संचालित हो रही है !
ब्रह्माण्ड का नक्शा न धर्म के पास है और न ही विज्ञान के पास, परन्तु ज्ञान कहता है आकाश के दोनों छोड़ जहाँ मिलते हैं, वही स्फोट है !
स्फोट वही, उद्गीथ वही, ब्रह्मनाद शब्द ध्वनिधार वही !
मैं एक ही बात बीस वर्षों से कहते आ रहा हूँ परन्तु अफ़सोस है कि कुछ ही लोग समझे हैं !
ईश्वर आत्म-गम्य है, आत्मा से जो प्राप्त होता है वही परमात्मा है !
यह बात जिसे समझ में न आती हो वे शारीरिक गुरु करें !
सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है जिसमे सिर्फ ब्लेड है. यह इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से खून निकाल देता है !
कट्टरता सच को उन हाथों में सुरक्षित रखने की कोशिश करती है जो उसे मारना चाहते हैं !
पंखुडियां तोड़ कर आप फूल की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा करते !
मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती !
किसी बच्चे की शिक्षा अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिये, क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है !
हर बच्चा इसी सन्देश के साथ आता है कि भगवान अभी तक मनुष्यों से हतोत्साहित नहीं हुआ है !
हर एक कठिनाई जिससे आप मुंह मोड़ लेते हैं,एक भूत बन कर आपकी नीद में बाधा डालेगी !
जो कुछ हमारा है वो हम तक आता है ; यदि हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं !
तथ्य कई हैं पर सत्य एक है !
मंदिर की गंभीर उदासी से बाहर भागकर बच्चे धूल में बैठते हैं, भगवान् उन्हें खेलता देखते हैं और पुजारी को भूल जाते हैं !
वो जो अच्छाई करने में बहुत ज्यादा व्यस्त है ,स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाता !
मैं एक आशावादी होने का अपना ही संसकरण बन गया हूँ. यदि मैं एक दरवाजे से नहीं जा पाता तो दुसरे से जाऊंगा- या एक नया दरवाजा बनाऊंगा. वर्तमान चाहे जितना भी अंधकारमय हो कुछ शानदार सामने आएगा !
यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जायेगा !
कला में व्यक्ति खुद को उजागर करता है कलाकृति को नहीं !
हम ये प्रार्थना ना करें कि हमारे ऊपर खतरे न आयें, बल्कि ये करें कि हम उनका सामना करने में निडर रहे !
प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता , बल्कि स्वतंत्रता देता है !
केवल प्रेम ही वास्तविकता है , ये महज एक भावना नहीं है.यह एक परम सत्य है जो सृजन के ह्रदय में वास करता है !
जब मैं खुद पर हँसता हूँ तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता है !
तितली महीने नहीं क्षण गिनती है, और उसके पास पर्याप्त समय होता है !
उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है !
बर्तन में रखा पानी चमकता है; समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है. लघु सत्य स्पष्ठ शब्दों से बताया जा सकता है, महान सत्य मौन रहता है !
हम दुनिया में तब जीते हैं जब हम उसे प्रेम करते हैं !
हम महानता के सबसे करीब तब होते हैं जब हम विनम्रता में महान होते हैं !
महान दार्शनिक अरस्तु
मनुष्य प्राकृतिक रूप से ज्ञान की इच्छा रखता है !
सभी भुगतान युक्त नौकरियां दिमाग को अवशोषित और अयोग्य बनाती हैं !
डर बुराई की अपेक्षा से उत्पन्न होने वाले दर्द है !
मनुष्य के सभी कार्य इन सातों में से किसी एक या अधिक वजहों से होते हैं: मौका, प्रकृति, मजबूरी, आदत, कारण, जुनून, इच्छा !
कोई भी उस व्यक्ति से प्रेम नहीं करता जिससे वो डरता है !
अच्छा व्यवहार सभी गुणों का सार है !
बुरे व्यक्ति पश्चाताप से भरे होते हैं !
कोई भी क्रोधित हो सकता है- यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति से सही सीमा में सही समय पर और सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस की बात नहीं है और यह आसान नहीं है !
मनुष्य अपनी सबसे अच्छे रूप में सभी जीवों में सबसे उदार होता है, लेकिन यदि क़ानून और न्याय ना हों तो वो सबसे खराब बन जाता है !
संकोच युवाओं के लिए एक आभूषण है, लेकिन बड़ी उम्र के लोगों के लिए धिक्कार !
जो सभी का मित्र होता है वो किसी का मित्र नहीं होता है !
चरित्र को हम अपनी बात मनवाने का सबसे प्रभावी माध्यम कह सकते हैं !
लोकतंत्र तब होगा जब गरीब ना कि धनाड्य शाशक हों !
शिक्षा बुढ़ापे के लिए सबसे अच्छा प्रावधान है !
उत्कृष्टता वो कला है जो प्रशिक्षण और आदत से आती है. हम इसलिए सही कार्य नहीं करते कि हमारे अन्दर अच्छाई या उत्कृष्टता है, बल्कि वो हमारे अन्दर इसलिए हैं क्योंकि हमने सही कार्य किया है. हम वो हैं जो हम बार-बार करते हैं. इसलिए उत्कृष्टता कोई कार्य नहीं बल्कि एक आदत है !
महान दार्शनिक सुकरात
एक ईमानदार आदमी हमेशा एक बच्चा होता है !
हर व्यक्ति की आत्मा अमर होती है, लेकिन जो व्यक्ति नेक होते हैं उनकी आत्मा अमर और दिव्य होती है !
जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं बस इतना जानता हूँ कि मैं कुछ नहीं जानता !
शादी या ब्रह्मचर्य, आदमी चाहे जो भी रास्ता चुन ले, उसे बाद में पछताना ही पड़ता है !
मित्रता करने में धीमे रहिये, पर जब कर लीजिये तो उसे मजबूती से निभाइए और उसपर स्थिर रहिये !
मृत्यु संभवतः मानवीय वरदानो में सबसे महान है !
चाहे जो हो जाये शादी कीजिये. अगर अच्छी पत्नी मिली तो आपकी ज़िन्दगी खुशहाल रहेगी ; अगर बुरी पत्नी मिलेगी तो आप दार्शनिक बन जायेंगे !
सौंदर्य एक अल्पकालिक अत्याचार है!
जहाँ सम्मान है वहां डर है,पर ऐसी हर जगह सम्मान नहीं है जहाँ डर है, क्योंकि संभवतः डर सम्मान से ज्यादा व्यापक है !
इस दुनिया में सम्मान से जीने का सबसे महान तरीका है कि हम वो बनें जो हम होने का दिखावा करते हैं !
हमारी प्रार्थना बस सामान्य रूप से आशीर्वाद के लिए होनी चाहिए, क्योंकि भगवान जानते हैं कि हमारे लिए क्या अच्छा है !
ज़िन्दगी नहीं, बल्कि एक अच्छी ज़िन्दगी को महत्ता देनी चाहिए !
अधिकतर आपकी गहन इच्छाओं से ही घोर नफरत पैदा होती है !
झूठे शब्द सिर्फ खुद में बुरे नहीं होते, बल्कि वो आपकी आत्मा को भी बुराई से संक्रमित कर देते हैं !
अपना समय औरों के लेखों से खुद को सुधारने में लगाइए, ताकि आप उन चीजों को आसानी से जान पाएं जिसके लिए औरों ने कठिन मेहनत की है !
वो सबसे धनवान है जो कम से कम में संतुष्ट है, क्योंकि संतुष्टि प्रकृति कि दौलत है !
सिर्फ जीना मायने नहीं रखता, सच्चाई से जीना मायने रखता है !
मैं सभी जीवित लोगों में सबसे बुद्धिमान हूँ, क्योंकि मैं ये जानता हूँ कि मैं कुछ नहीं जानता हूँ !
मूल्यहीन व्यक्ति केवल खाने और पीने के लिए जीते हैं; मूल्यवान व्यक्ति केवल जीने के लिए खाते और पीते हैं !
महान दार्शनिक प्लेटो
एक अच्छा निर्णय ज्ञान पर आधारित होता है नंबरों पर नहीं !
एक नायक सौ में एक पैदा होता है, एक बुद्धिमान व्यक्ति हज़ारों में एक पाया जाता है, लेकिन एक सम्पूर्ण व्यक्ति शायद एक लाख लोगों में भी ना मिले !
सभी व्यक्ति प्राकृतिक रूप से सामान हैं, एक ही मिटटी से एक ही कर्मकार द्वारा बनाये गए;और भले ही हम खुद को कितना भी धोखें में रख लें पर भगवान को जितना प्रिय एक शश्क्त राजकुमार है उतना ही एक गरीब किसान !
महान दार्शनिक कन्फ्युशियस
एक श्रेष्ठ व्यक्ति कथनी में कम ,करनी में ज्यादा होता है !
एक शेर से ज्यादा एक दमनकारी सरकार से डरना चाहिए !
हर एक चीज में खूबसूरती होती है, लेकिन हर कोई उसे नहीं देख पाता !
मैं सुनता हूँ और भूल जाता हूँ , मैं देखता हूँ और याद रखता हूँ, मैं करता हूँ और समझ जाता हूँ !
जो आप खुद नहीं पसंद करते उसे दूसरों पर मत थोपिए !
बुराई को देखना और सुनना ही बुराई की शुरुआत है !
सफलता पहले से की गयी तैयारी पर निर्भर है,और बिना ऐसी तैयारी के असफलता निश्चित है !
महानता कभी ना गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है !
नफरत करना आसान है, प्रेम करना मुश्किल. चीजें इसी तरह काम करती हैं. सारी अच्छी चीजों को पाना मुश्किल होता है,और बुरी चीजें बहुत आसानी से मिल जाती हैं !
हम तीन तरीकों से ज्ञान अर्जित कर सकते हैं. पहला, चिंतन करके, जो कि सबसे सही तरीका है. दूसरा , अनुकरण करके,जो कि सबसे आसान है, और तीसरा अनुभव से ,जो कि सबसे कष्टकारी है !
यह बात मायने नहीं रखती की आप कितना धीमे चल रहे हैं, जब तक की आप रुकें नहीं !
बुद्धि, करुणा,और साहस, व्यक्ति के लिए तीन सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त नैतिक गुण हैं !
किसी कमी के साथ एक हीरा बिना किसी कमी के पत्थर से बेहतर है !
उस काम का चयन कीजिये जिसे आप पसंद करते हों, फिर आप पूरी ज़िन्दगी एक दिन भी काम नहीं करंगे !
अल्बर्ट आइंस्टीन
जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की !
यदि मानव जाति को जीवित रखना है तो हमें बिलकुल नयी सोच की आवश्यकता होगी !
जो छोटी-छोटी बातों में सच को गंभीरता से नहीं लेता है, उस पर बड़े मसलों में भी भरोसा नहीं किया जा सकता !
ईश्वर के सामने हम सभी एक बराबर ही बुद्धिमान हैं-और एक बराबर ही मूर्ख भी !
कोई भी समस्या चेतना के उसी स्तर पर रह कर नहीं हल की जा सकती है जिसपर वह उत्पन्न हुई है !
जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड के समान लगता है. जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के समान लगता है. यही सापेक्षता है !
दो चीजें अनंत हैं: ब्रह्माण्ड और मनुष्य की मूर्खता; और मैं ब्रह्माण्ड के बारे में दृढ़ता से नहीं कह सकता !
दुनिया में जो चीज समझना सबसे कठिन है, वो है इनकम टैक्स !
कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है !
सफल व्यक्ति बनने का प्रयास मत करिए, बल्कि सिद्धांतों वाला व्यक्ति बनने का प्रयत्न करिए !
महान आत्माओं ने हमेशा मामूली सोच वाले लोगों के हिंसक विरोध का सामना किया है !
प्रकृति में गहराई से देखो, और तब तुम हर एक चीज बेहतर ढंग से समझ पाओगे !
सभी धर्म, कला और विज्ञान एक ही वृक्ष की शाखाएं हैं !
शिक्षा वो है जो स्कूल में सिखाई गयी चीजों को भूल जाने के बाद बचती है !
एक इंसान उस उस पूर्ण का एक भाग है जिसे हम ब्रहमांड कहते हैं !
महत्वपूर्ण बात यह है कि हम प्रश्न करना ना छोडें. जिज्ञासा के मौजूद होने के अपने खुद के कारण हैं !
ज़िन्दगी साइकिल चलाने की तरह है. अपना बैलेंस बनाए रखने के लिए आपको चलते रहना होता है !
ज़िन्दगी जीने के केवल दो ही तरीके हैं. एक ऐसे कि मानो कुछ भी चमत्कार ना हो. दूसरा ऐसे कि मानो सबकुछ एक चमत्कार हो !
जैसे ही आप सीखना बंद कर देते हैं, आप मरना शुरू कर देते हैं !
आप कभी फेल नहीं होते, जब तक आप प्रयास करना नहीं छोड़ देते !
वह जो विस्मित होने के लिए ठहर नहीं सकता और मगन होकर आश्चर्य से खड़ा नहीं हो सकता, वह मरे हुए के समान है; उसकी आँखें बंद हैं.
मेरे पास कोई स्पेशल टैलेंट नहीं है. मैं बस बहुत अधिक जिज्ञासु हूँ !
नज़रिए की कमज़ोरी चरित्र की कमज़ोरी बन जाती है !
वो सत्य है जो अनुभव के परीक्षण पर खरा उतरता है !
ज्ञान का एक मात्र स्रोत अनुभव है !
एक ऐसा समय आता है जब दिमाग ज्ञान के उच्च स्तर पर पहुँच जाता है लेकिन कभी साबित नहीं कर पाता कि वहां वह कैसे पहुंचा !
केवल दूसरों के लिए जिया जीवन ही सार्थक जीवन है !
रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में आनंद जगाना शिक्षक की सर्वोच्च कला है !
बुधिमत्ता का सही संकेत ज्ञान नहीं बल्कि कल्पना है !
पागलपन: एक ही चीज बार-बार करना और अलग रिजल्ट की उम्मीद करना !
रचनात्मकता का रहस्य ये जानना है कि अपने स्रोतों को कैसे छिपाया जाए !
किसी इंसान का मूल्य इससे देखा जाना चाहिए कि वो क्या दे सकता है, इससे नहीं कि वो वो क्या ले पा रहा है !
जीनियस 1% टैलेंट है और 99% हार्ड वर्क !
ज्यादातर शिक्षक अपना समय ऐसे प्रश्न पूछने में बर्बाद करते हैं जिनका मकसद ये जानना होता है कि छात्र क्या नहीं जानता है, जबकि प्रश्न पूछने की सच्ची कला ये पता लगाना है कि छात्र क्या जानता है या क्या जानने में सक्षम है !
एक बार जब हम अपनी सीमाएं स्वीकार कर लेते हैं, तो हम उनके पार चले जाते हैं !
मैं शायद ही कभी शब्दों में सोचता हूँ. एक विचार आता है, और मैं बाद में उसे शब्दों में वयक्त करने का प्रयास कर सकता हूँ !
याददाश्त धोखेबाज है क्योंकि ये आज की घटनाओं से रंगी होती है !
यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे बुद्धिमान हों तो उन्हें परियों की कहानियां सुनाएं. यदि आप चाहते हैं कि वे और भी बुद्धिमान हों तो उन्हें और भी परियों की कहानियां सुनाएं !
तर्क आपको ए से जेड तक ले जायेगा; कल्पना आपको कहीं भी ले जायेगी !
एक चुतर व्यक्ति समस्या को हल कर देता है. एक बुद्धिमान व्यक्ति उससे बच जाता है !
धर्म के बिना विज्ञान लंगड़ा है, विज्ञान के बिना धर्म अंधा है।
ये दुनिया, जैसा हमने इसे बनाया है, हमारी सोच का परिणाम है. इसे बिना हमारी सोच बदले नहीं बदला जा सकता है !
मुझे नहीं पता कि किन हथियारों से तृतीय विश्व युद्ध लड़ा जाएगा, लेकिन लेकिन चौथा विश्व युद्ध लाठी और पत्थरों से लड़ा जायेगा !
रचनात्मकता बुद्धि की मौज-मस्ती है।
दुनिया जीने के लिए एक खतरनाक जगह है, उन लोगों की वजह से नहीं जो बुरे हैं, बल्कि उनकी वजह से जो इसके लिए कुछ करते नहीं हैं !
ब्लैक होल्स वो हैं जहाँ भगवान शून्य से विभाजित होता है !
अपने आप को खुश करने का सबसे अच्छा तरीका किसी और को खुश करना है।
जो सही है वो हमेशा प्रसिद्द नहीं होता और जो प्रसिद्द है वो हेमशा सही नहीं होता !
मुझे मैं जो हूँ उसे छोड़ने के लिए तैयार होना होगा ताकि मैं वो बन सकूँ जो मैं होऊंगा !
समय एक भ्रम है !
एक निराशावादी और सही होने के बजाय मैं एक आशावादी और मूर्ख होना चाहूँगा !
केवल वो जो बेतुके प्रयास करते हैं असम्भव प्राप्त कर सकते हैं !
एक सच्चा जीनियस स्वीकार करता है कि उसे कुछ नहीं पता है !
अगर मेरे पास किसी समस्या को हल करने के लिए 1 घंटा हो, तो मैं 55 मिनट समस्या के बारे में सोचने और 5 मिनट उसका हल सोचने में लगाऊंगा !
आइजक न्यूटन
हर एक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है।
जो उपर जाता है उसका नीचे आना भी अवश्यंभावी है।
जो उपर जाता है उसका नीचे आना भी अवश्यंभावी है।
प्रतिभा धैर्य है।
मैं आकाशीय पिंडों की गति की गणना कर सकता हूं लेकिन लोगों के पागलपन की नहीं।
कोई भी चीज सीधी दिशा में तब तक गतिमान रहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल न लग जाए।
सत्य हमेशा सादगी में पाया जाता है न कि बहुत चीजों और भ्रम की स्थिति में।
हर एक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है या दो वस्तुओं के बीच परस्पर क्रियाएं हमेशा बराबर होती है और उनका बल विपरीत दिशा में होता है।
मैं नहीं जानता कि संसार के लिए मैं क्या हूं, लेकिन मेरी नजर में, मैं अपने आप को समुद्र के किनारे खेल रहे उस बच्चे की तरह मानता हूं जो चिकने पत्थर एंव सुंदर सीपियां खोजने में लीन है। जबकि सामने सत्य का अबूझ अनसुलझा महासागर अब भी फैला हुआ है।
मेरी शक्तियां बहुत साधारण है, मेरी सफलता का राज है- सतत अभ्यास।
किसी एक आदमी यहां तक कि किसी एक उम्र के लिए पूरी प्रकृति की व्याख्या करना बहुत कठिन कार्य है, इसलिए बेहतर है कि जो कुछ हो निश्चितता के साथ किया जाए और शेष उनके लिए छोड़ दिया जाए जो आपके बाद आएंगे।
मैनें अपने आप को कड़ी मेहनत के बाद ऐसा बनाया है।
कोई भी बड़ी खोज, एक साहसी कल्पना के बिना नहीं की जा सकती।
लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल
इस मिट्टी में कुछ अनूठा है , जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है !
यह हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यह अनुभव करे की उसका देश स्वतंत्र है और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्तव्य है. हर एक भारतीय को अब यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत है, एक सिख या जाट है. उसे यह याद होना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे इस देश में हर अधिकार है पर कुछ जिम्मेदारियां भी हैं !
मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई भूखा ना हो ,अन्न के लिए आंसू बहता हुआ !
आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का मजबूत हाथों से सामना कीजिये !
एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है जबतक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है !
शक्ति के अभाव में विश्वास किसी काम का नहीं है. विश्वास और शक्ति , दोनों किसी महान काम को करने के लिए अनिवार्य हैं !
यहाँ तक कि यदि हम हज़ारों की दौलत भी गवां दें,और हमारा जीवन बलिदान हो जाए , हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर एवं सत्य में विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए !
बेशक कर्म पूजा है किन्तु हास्य जीवन है.जो कोई भी अपना जीवन बहुत गंभीरता से लेता है उसे एक तुच्छ जीवन के लिए तैयार रहना चाहिए. जो कोई भी सुख और दुःख का समान रूप से स्वागत करता है वास्तव में वही सबसे अच्छी तरह से जीता है !
अक्सर मैं ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ. जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है !
छत्रपति शिवाजी महाराज
स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर कोई है।
नारी के सभी अधिकारों में, सबसे महान अधिकार माँ बनने का है !
एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद मे विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।
जब हौसले बुलन्द हो, तो पहाङ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।
सर्वप्रथम राष्ट्र, फिर गुरु, फिर माता-पिता, फिर परमेश्वर।अतः पहले खुद को नही राष्ट्र को देखना चाहिए।
अगर मनुष्य के पास आत्मबल है, तो वो समस्त संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।
जो मनुष्य समय के कुच्रक मे भी पूरी शिद्दत से, अपने कार्यो मे लगा रहता है। उसके लिए समय खुद बदल जाता है।
एक सफल मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए, समुचित मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है।
आत्मबल, सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती है।
एक पुरुषार्थी भी, एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है। क्योंकि पुरुर्षाथ भी विद्या से ही आती है।
जो धर्म, सत्य, क्षेष्ठता और परमेश्वर के सामने झुकता है। उसका आदर समस्त संसार करता है।
जीवन में सिर्फ अच्छे दिन की आशा नही रखनी चाहिए, क्योंकि दिन और रात की तरह अच्छे दिनों को भी बदलना पड़ता है।
अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला, और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।
कोई भी कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है; क्योंकि हमारी आने वाली पीढ़ी उसी का अनुसरण करती है।
चन्द्रशेखर आजाद
अभी भी जिसका खून ना खौला, वो खून नहीं पानी है; जो देश के काम ना आए, वो बेकार जवानी है।
दुश्मन की गोलियों का सामना करेंगे,आजाद ही रहे हैं, आजाद रहेंगे।
यदि कोई युवा मातृभूमि की सेवा नहीं करता है, तो उसका जीवन व्यर्थ है।
आप हर दिन दूसरों, को अपने रिकॉर्ड तोड़ने का प्रतीक्षा मत करो। बल्कि खुद उसे तोड़ने का प्रयत्न करो क्योंकि सफलता के लिए आपकी खुद से लड़ाई है।
मैं ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता समानता और भाईचारा सिखाता है।
सरदार भगत सिंह
जिन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती है…. दुसरो के कन्धों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं !
जो व्यक्ति भी विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमे अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनोती देनी होगी !
मै इस बात पर जोर देता हूँ की मैं महत्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ. पर मैं जरूरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ, और वही सच्चा बलिदान हैं !
निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं !
क्रांति मानव जाती का एक अपरिहार्य अधिकार है. स्वतंत्रता सभी का एक कभी न खत्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है. श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है !
इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के ओचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसाकि हम विधान सभा में बम फेकने को लेकर थे !
व्यक्तियों को कुचल कर, वे विचारों को नही मार सकते !
मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है !
पण्डित दीनदयाल उपाध्याय
शक्ति असंयमित व्यवहार में नहीं बल्कि अच्छी तरह व्यवस्थित कार्रवाई में निहित है !
यह जरूरी है कि हम ‘हमारी राष्ट्रीय पहचान’ के बारे में सोचें इसके बिना ‘आजादी’ का कोई अर्थ नहीं है !
भारत के सामने समस्याएँ आने का प्रमुख कारण, अपनी ‘राष्ट्रीय पहचान’ की उपेक्षा है !
अवसरवाद के कारण लोगों का राजनीति से विश्वास हिल गया है !
मानवीय ज्ञान सार्वजनिक संपत्ति है !
आजादी केवल तभी सार्थक हो सकती है, जब यह हमारी संस्कृति की अभिव्यक्ति का जरिया बनती है !
जीवन में विविधता और बहुलता है फिर भी हमने हमेशा उनके पीछे एकता की खोज करने का प्रयास किया है !
विविधता में एकता और विभिन्न रूपों में एकता की अभिव्यक्ति, भारतीय संस्कृति की सोच रही है !
टकराव प्रकृति की संस्कृति का संकेत नहीं है, बल्कि यह उसके गिरावट का एक लक्षण है !
मानवीय स्वभाव में दोनों प्रवृतियाँ हैं – क्रोध और लालच एक हाथ पर तो दूसरे पर प्यार और बलिदान !
धर्मनिष्ठता का अर्थ एक पंथ या एक संप्रदाय है और इसका मतलब धर्म नहीं है !
धर्म बहुत व्यापक अवधारणा है जो समाज को बनाए रखने के लिये जीवन के सभी पहलुओं से संबंधित है !
जब स्वभाव को धर्म के सिद्धांतों के अनुसार मोड़ा जाता है, हमें संस्कृति और सभ्यता के दर्शन होते हैं !
शिक्षा एक निवेश है. एक शिक्षित व्यक्ति वास्तव में समाज की सेवा करेगा !
शिक्षा एक निवेश है. एक शिक्षित व्यक्ति वास्तव में समाज की सेवा करेगा !
समाज को हर व्यक्ति को ढंग शिक्षित करना होगा, तभी वह समाज के प्रति दायित्वों को पूरा करने में करने सक्षम होगा !
राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद
पेड़ो के आसपास चलने वाला अभिनेता कभी आगे नही बढ़ सकता !
मनोरंजन की दुनिया में उम्र बहुत महत्वपूर्ण होता है !
हर किसी को अपनी उम्र के साथ सीखने के लिए खेलना चाहिए !
जो मैं करता हूँ, मैं उन भूमिकाओं के बारे में सावधान रहता हूं !
जो बात सिद्धांत में गलत है , वह बात व्यवहार में भी सही नहीं है !
गाय की सुरक्षा करना , भारत का शाश्वत धर्म है !
रामधारी सिंह दिनकर
उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम, देश में जितने भी हिन्दू बसते हैं, उनकी संस्कृति एक है एवं भारत की प्रत्येक क्षेत्रीय विशेषता हमारी सामासिक संस्कृति की ही विशेषता है !
हम तर्क से पराजित होने वाली जाती नहीं हैं. हाँ, कोई चाहे तो नम्रता, त्याग और चरित्र से हमें जीत सकता है !
पंडित और संत में वही भेद होता है, जो हृदय और बुद्धि में है. बुद्धि जिसे लाख कोशिश करने पर भी नहीं समझ पाती, हृदय उसे अचानक देख लेता है !
विद्द्या समुद्र की सतह पर उठती हुई तरंगों का नाम है. किन्तु, अनुभूति समुद्र की अंतरात्मा में बसती है !
हमारा धर्म पंडितों की नहीं, संतों और द्रष्टाओं की रचना है. हिंदुत्व का मूलाधार विद्या और ज्ञान नहीं है, सीधी अनुभूति है !
धर्म अनुभूति की वस्तु है और धर्मात्मा भारतवासी उसी को मानते आये हैं, जिसने धर्म के महा सत्यों को केवल जाना ही नहीं उनका अनुभव और साक्षात्कार भी किया है !
संत सूनी-समझी बातों का आख्यान नहीं करते, वे तो आँखों देखी बातें करते हैं. अपनी अनुभूतियों का निचोड़ दूसरों के हृदय में उतारते हैं !
परिपक्व मनुष्य जाति भेद को नहीं मानता !
जीवन अन्वेषणों के बीच है. उसका जन्म अज्ञात इच्छाओं के भीतर से होता है. अपने हृदय में कामनाओं को जलाए रखो, अन्यथा तुम जिस मिट्टी से निर्मित हुए हो कब्र बन जाएगी !
जो मनुष्य अनुभव के दौर से होकर गुजरने से इंकार करता है, मेहनत से भाग कर आराम की जगह पर पहुँचने के लिए बेचैन है, उसकी यह बेचैनी ही इस बात का सबूत है कि वह अपने संगठन का अच्छा नेता नहीं बन सकता !
जिस मनुष्य में भावना का संचार न हो, जिसे अपने राष्ट्र से प्रेम नहीं, उसका ह्रदय ह्रदय नहीं पत्थर है !
सुमित्रानन्दन पन्त
हिंदी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है।
जीना अपने ही मैं एक महान कर्म है।
जीवन का सदुपयोग हो यह मनुष्य का धर्म है।
महान सम्राट अशोक
जानवरों व अन्य प्राणियों को मारने वालो के लिए किसी भी धर्म में कोई जगह नहीं हैं !
किसी भी व्यक्ति को सिर्फ अपने धर्म का सम्मान और दूसरों के धर्म की निंदा नहीं करनी चाहिए !
किसी भी व्यक्ति को सिर्फ अपने धर्म का सम्मान और दूसरों के धर्म की निंदा नहीं करनी चाहिए !
किसी भी दूसरे सम्प्रदायों की निंदा करना गलत है, असली आस्तिक वही है जो उन सम्प्रदायों में जो कुछ भी अच्छा है उसे सम्मान देता है !
सफल राजा वही होता हैं, जिसे पता होता हैं कि जनता को किस चीज की जरूरत हैं !
कोई भी व्यक्ति जो चाहे प्राप्त कर सकता हैं, बस उसे उसकी उचित कीमत चुकानी होगी !
दूसरो के द्वारा बताये गये सिद्धांतो को सुनने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए !
दूसरो के द्वारा बताये गये सिद्धांतो को सुनने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए !
जितना कठिन संघर्ष करोगे, आपके जीत कि ख़ुशी भी उतनी ही बढ़ जयेगी !
हर धर्म हमें प्रेम, करुणा और भलाई का पाठ पढाता हैं. अगर हम इसी दिशा में आगे बढे तो कभी किसी के बीच कोई विवाद ही नहीं होगा !
हर धर्म हमें प्रेम, करुणा और भलाई का पाठ पढाता हैं. अगर हम इसी दिशा में आगे बढे तो कभी किसी के बीच कोई विवाद ही नहीं होगा !
मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब
उनके देखे से जो आ जाती है मन पर रौनक, वो समझते हैं, बीमार का हाल अच्छा है।
मुस्कान बनाए रखो तो सब साथ हैं ग़ालिब, वरना आंसुओं को तो आंखों में भी पनाह नहीं मिलती।
आता है कौन-कौन तेरे गम को बांटने गालिब, तुम अपनी मौत की अफवाह उड़ा के देख।
आता है कौन-कौन तेरे गम को बांटने गालिब, तुम अपनी मौत की अफवाह उड़ा के देख।
हाथों की लकीरों पे, मत जा- ए- ग़ालिब; किस्मत उनकी भी होती है, जिनके हाथ नहीं होते।
कुछ इस तरह मैंने ज़िंदगी को आसां कर लिया; किसी से माफी मांग ली, किसी को माफ कर दिया।
रहने दे मुझे इन अंधेरों में 'ग़ालिब' कमबख्त रोशनी में अपनों के असली चेहरे सामने आ जाते हैं।
जिंदगी उसकी जिसकी मौत पे जमाना अफसोस करे ग़ालिब; यूं तो हर शख्स आते हैं इस दुनिया में मरने के लिए।
रफ्तार कुछ जिंदगी की यूं बनाए रख ग़ालिब, कि दुश्मन भले आगे निकल जाए पर दोस्त कोई पीछे न छूटे।
इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के।
ये चंद दिनों की दुनिया है यहां संभल के चलना ग़ालिब, यहां पलकों पर बिठाया जाता है नजरों से गिराने के लिए!
महान विद्वान् चाणक्य
कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा. और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढिए !
व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है; और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है; और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है !
भगवान मूर्तियों में नहीं है. आपकी अनुभूति आपका इश्वर है. आत्मा आपका मंदिर है !
इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये !
शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है. शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है !
जैसे ही भय आपके करीब आये, उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये !
जब तक आपका शरीर स्वस्थ और नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को बचाने कि कोशिश कीजिये; जब मृत्यु सर पर आजायेगी तब आप क्या कर पाएंगे?
कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं !
सर्प, नृप, शेर, डंक मारने वाले ततैया, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्तों, और एक मूर्ख: इन सातों को नीद से नहीं उठाना चाहिए !
सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है : कभी भी अपने राज़ दूसरों को मत बताएं. ये आपको बर्वाद कर देगा !
पहले पांच सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिये. अगले पांच साल उन्हें डांट-डपट के रखिये. जब वह सोलह साल का हो जाये तो उसके साथ एक मित्र की तरह व्यवहार करिए. आपके वयस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र हैं !
फूलों की सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है. लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है !
दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति नौजवानी और औरत की सुन्दरता है !
हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं !
हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है. ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो. यह कड़वा सच है !
वह जो अपने परिवार से अत्यधिक जुड़ा हुआ है, उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है, क्योंकि सभी दुखों कि जड़ लगाव है. इसलिए खुश रहने कि लिए लगाव छोड़ देना चाहिए !
वह जो हमारे चिंतन में रहता है वह करीब है, भले ही वास्तविकता में वह बहुत दूर ही क्यों ना हो; लेकिन जो हमारे ह्रदय में नहीं है वो करीब होते हुए भी बहुत दूर होता है !
अपमानित हो के जीने से अच्छा मरना है. मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है, लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता है !
कभी भी उनसे मित्रता मत कीजिये जो आपसे कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के हों. ऐसी मित्रता कभी आपको ख़ुशी नहीं देगी !
जब आप किसी काम की शुरुआत करें, तो असफलता से मत डरें और उस काम को ना छोड़ें. जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वो सबसे प्रसन्न होते हैं !
संतुलित दिमाग जैसी कोई सादगी नहीं है, संतोष जैसा कोई सुख नहीं है, लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं है, और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है !
पृथ्वी सत्य की शक्ति द्वारा समर्थित है; ये सत्य की शक्ति ही है जो सूरज को चमक और हवा को वेग देती है; दरअसल सभी चीजें सत्य पर निर्भर करती हैं !
वो जिसका ज्ञान बस किताबों तक सीमित है और जिसका धन दूसरों के कब्ज़े मैं है, वो ज़रुरत पड़ने पर ना अपना ज्ञान प्रयोग कर सकता है ना धन !
जो सुख-शांति व्यक्ति को आध्यात्मिक शान्ति के अमृत से संतुष्ट होने पे मिलती है वो लालची लोगों को बेचैनी से इधर-उधर घूमने से नहीं मिलती !
एक उत्कृष्ट बात जो शेर से सीखी जा सकती है वो ये है कि व्यक्ति जो कुछ भी करना चाहता है उसे पूरे दिल और ज़ोरदार प्रयास के साथ करे !
जो लोग परमात्मा तक पहुंचना चाहते हैं उन्हें वाणी, मन, इन्द्रियों की पवित्रता और एक दयालु ह्रदय की आवश्यकता होती है !
मुंशी प्रेमचन्द
कार्यकुशलता की व्यक्ति को हर जगह जरूरत पड़ती है।
खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है, जीवन नाम है, आगे बढ़ते रहने की लगन का।
दौलतमंद आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है।
जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में है; उनका सुख लूटने में नहीं।
आत्मसम्मान की रक्षा हमारा सबसे पहला धर्म है।
सफलता दोषों को मिटाने की विलक्षण शक्ति है।
नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है।
लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है। जिन्होंने धन और भोग विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया, वो क्या लिखेंगे?
केवल बुद्धि के द्वारा ही मनुष्य का मनुष्यत्व प्रकट होता है।
अपनी भूल अपने ही हाथों से सुधर जाए, तो यह उससे कहीं अच्छा है कि कोई दूसरा उसे सुधारे।
सौभाग्य उसी को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचलित रहते हैं।
अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित व्यवहारों का सुधारक होता है।
पंच के दिल में खुदा बसता है।
नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत दो, यह तो पीर का मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए।
चिंता एक काली दीवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है। जिसमें से निकलने की कोई गली नहीं है।
ओशो
ध्यान सिर्फ एक वाहन है, बहिर्मुखी व्यक्ति अगर ध्यान में उतरे तो वह ब्रम्हा की यात्रा पर, कास्मिक जनी पर निकल जाएगा, जहा सारा अखण्ड जगत उसे अपना ही स्वरुप मालूम होने लगेगा. अगर अन्तर्मुखी व्यक्ति ध्यान के वाहन पर सवार हो तो अंतर यात्रा पर निकल जाएगा, शून्य में और शून्य में और महाशुन्य में जहा सब बबूले फुट कर मिट जाते है और अस्तित्व का महासागर ही शेष रह जाता है!
जब तक आदमी सृजन की कला नहीं जानता तब तक अस्तित्व का अंश नहीं बनता !
जीवन का कोई महत्त्व नही है. खुश रहो! फिर भी जीवन का कोई महत्त्व नही होंगा. नाचो, गाओ, झुमो! फिर भी जीवन का कोई महत्त्व नही होंगा. आपको विचारशील (Serious) बनने की जरुरत है. ये एक बहोत बड़ा मजाक होंगा !
जब मै ये कहता हु की तुम ही भगवान हो तुम ही देवी हो तो मेरा मतलब यह होता है की तुम्हारी संभावनाये अनंत है और तुम्हारी क्षमता भी अनंत है !
असली सवाल यह है की भीतर तुम क्या हो ? अगर भीतर गलत हो, तो तुम जो भी करगे, उससे गलत फलित होगा. अगर तुम भीतर सही हो, तो तुम जो भी करोगे, वह सही फलित होगा !
जो विचार के गर्भाधान के विज्ञान को समझ लेता है वह उससे मुक्त होने का मार्ग सहज ही पा जाता है !
श्रेष्टता से सोचने वाला हमेशा तुच्छ कहलाता है, क्योकि ये एक ही सिक्के के दो पहलु है !
मुझे आज्ञाकारी लोगो जैसे अनुयायी नही चाहिये. मुझे बुद्धिमान दोस्त चाहिये, जो यात्रा के समय मेरे सहयोगी हो !
आपका दिल ही आपका सबसे बड़ा शिक्षक है, आपको उसी की सुननी चाहिये. लेकिन जीवन की यात्रा में आपका अंतर्ज्ञान ही आपका शिक्षक होता है !
एक बच्चे को विशाल एकांतता की जरुरत होती है, उसे ज्यादा से ज्यादा एकांतता में रहने देना चाहिये, ताकि वह अपनेआप को विकसित कर सके !